बसंत गीत
बसंत गीत
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भँवरा बावरा, सखी भँवरा बावरा
इत-उत डोले, पिया-पिया बोले
कैसा उतावरा, सखी भँवरा बावरा।
ऋतु बासंती , खिली हर कली- कली
मदमाती, बलखाती बेल चली,
बौराया साँवरा, सखी भँवरा बावरा।
सुरभित उपवन, पुलकित तन मन
भ्रमित भ्रमर, भ्रमण करे क्षण-क्षण
रस का तावरा, सखी भँवरा बावरा।
फागुन माह अब, आवन लागे
पिय की लगन, अगन बन जागे,
तड़पावत बालमा, सखी भँवरा बावरा।
पिया-पिया बोले, इत-उत डोले
प्रियतम साँवरा, सखी भँवरा बावरा
बावरा, बावरा, बावरा।