दोस्त
दोस्त
ये शब्द ही कितना अलग है न,
इस शब्द मैं ही दो आ जाता है,
जिस तरह हम हर दिन सुबह उठते है ,
वैसे ही दोस्त के आने से हर सुबह सुबह बन जाती है,
उसी तरह हम सबकी ज़िन्दगी में
वो पल आता हैैं जब हमारी ज़िन्दगी में
इस शब्द की एंट्री होती है,
वो दिन किसी को याद नही होता और ना याद
रखने की जरुुरत होती है,
ज़िन्दगी का असली मतलब बचपन में वही दोस्त बताता है।
हर समय क्लास मे मस्ती करना
एक दूसरे की चुपि पर शकल देेेखकर ही हँसना,
हर बात एक दूसरे को खुलकर बताना
साथ मैं मिलकर दूसरे को पकड़कर उसकी खिल्ली उड़ाना,
स्कूल के पहले दिन से आखरी दिन तक
खुलकर और खुश रह कर बिताना
यही शायद दोस्ती का मतलब होता है।
