बचपन
बचपन
वो क्या ज़माना था ,
जब हम छोटे हुआ करते थे,
चेहरे पर हंसी और मुस्कान लेकर चला करते थे,
डर तो था नही किसी बात का
तो जो मंन में आये वो
कर दिया करते थे,
बिना वजह कीसी भी बात पर हँस दिया करते थे,
माँ -पापा की डांट पड़ती थी,
लेकिन फिर भी सुुुबह-शाम खेला करते थे,
खाना बाटँने की आदत हमारी नही थी,
इसीलिए जब भी कुुुछ मिलता खुद ही खा जाया करते थे,
स्कूल ,मोहल्ले , रिशतेेदारो के बच्चे,
जाने किस किसको दोस्त बना लिया करते थे,
खेलने की बात तो हमारी अलग ही होती थी,
जो सामान ज़मीन पर पड़ा हुआ मिले उसे ही खेल का शिकार बना लिया करते थे,
अच्छे बुरेे का पता नही होता था,
इसीलिए अच्छे को बुरा और बुरे को अच्छा
माना करते थेे,
कोई मारता तो उसे मारकर हम भाग जााते थे,
आंसू आजाए तो माँ-पापा चॉकलेेेट देकर चुप
करा दिया करते थे,
मनपसंद खाने की फरमाइश खुले आम कर दिया करते थे,
बचपन के किस्से तो बहुत सारे हैं ,
जिनकी गिनती करना नामुमकिन है,
कई ऐसी बाते हैं जो बचपन को याद दिला देती है,
हर मोड़ पर खुुशी को महसूस कराती है,
बचपन की यादे कभी मिट नही सकती
इसीलिए तो बचपन को फिर से जीने की आस सबके अंदर होती है,
मेरे अदंर भी है
और आपके अंदर भी है!
