दो पल
दो पल


आओ आज फिर मिल कर बैठे,
अपने वहीं पुराने अंदाज़ में
फिर वही बातें होंगी,
कुछ नई, ज़्यादा पुरानी।
तुम बताना मुझे, मैं तुम्हें बताऊंगा,
कैसे निकली वो लम्बी रातें,
जिन दिनों ना हुई हमारी मुलाकातें।
तुम्हारे बिना ना था कोई, जो हाल-ऐ-दिल पूछता
क्या दर्द है हमें, ये कभी कोई सोचता।
अकेले जीने को हम मजबूर थे,
बड़े ज़ालिम थे वो दिन, जब तुम दूर थे।
आसान कभी ना था, तुम्हारे बिना जीना
मुश्किल लगता था, ग़म के घूंट घुट- घुट पीना।