दिल हिंदुस्तान, जान हिंदुस्ता
दिल हिंदुस्तान, जान हिंदुस्ता
दिल हिंदुस्तान, जान हिंदुस्ता
अंधेरों में दिलों के उजाले लिए चलते हैं
कभी ज़मी तो कभी आसमां बन कर चलते हैं।
कर गुज़रने की है तम्मना दिलों में कुछ ऐसी
की तपती धरा पे हम नंगे पांव चला करते हैं।
अमन के है सिपाही पर सीने में इंक़लाब लिए चलते हैं
दिलों में गााँधी और रगों में भगत सिंह लिए चलते हैं।
न बैर है किसी से न किसी से दुश्मनी
हम प्यार का पैगाम लिए चलते है।
कम न समझना ताक़त इन बाजुओं की
जो दोस्ती का पैगाम लिये चलते है।
कर देते है ख़ामोश गरजते तुफानो को
वतन पर मर मिटने की आरजू लिए चलते है।
निगहेबां हैं खुदा हमारा
हम हथेली पे जां लिए चलते हैं।
तैरता है हर रंग तिरंगे का इन आँखों में
हम दिलों में हिन्दुस्तान लिए चलते हैं।