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mujeeb khan

Inspirational

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mujeeb khan

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मेरी हमसफ़र : मेरी हमनवां

मेरी हमसफ़र : मेरी हमनवां

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बिखरी बिखरी सी थी जिंदगी 

तूने उसे कुछ यूँ सवार दिया 

जोड़ कर तिनका तिनका तूने 

एक घर संसार बना दिया


बेसबब सी ज़िन्दगी को तूने एक मकसद बना दिया 

पथरीली राहों को तूने एक हसीं सफर बना दिया

कैसे करूँ अहसान ये अदा तेरा 

 कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया


हारा कभी तो हिम्मत बनी ,रुका कभी तो हौंसला

न झुकाने दिया कभी, हमेशा आगे बढ़ने का साहस दिया 

बेकार से एक पत्थर को तूने एक हीरा बना दिया 

कैसे करूँ अहसान ये अदा तेरा 

 कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया


 हमसफ़र बन साथ चली, कभी हमराज़ तो कभी हम साया 

थाम के हाथ तूने अधूरी सी ज़िन्दगी को मेरी मुक्कमल बना दिया 

कैसे करूँ अहसान ये अदा  तेरा 

 कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया 


न पड़े धुप मुझ पर ग़मों की ,अपने प्यार का आँचल फैला दिया 

लड़ती रही अंधेरों से खुद, ज़िन्दगी को मेरी रोशन बना दिया 

एक बुझे बुझे चराग को तूने एक चमकता सितारा बना दिया 

कैसे करूँ अहसान ये अदा तेरा 

 कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया


कभी थामा हाथ दोस्त बन कर तो कभी माँ का सा दुलार दिया 

ढाल बनी कभी सावित्री बन कर तो कभी दुर्गा बन मुश्किलों पर वार किया 

कैसे करूँ अहसान ये अदा तेरा 

 कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया


रहेगा ये क़र्ज़ तेरा मुझ पर जन्मो जन्मो तक ए हमनवां 

 Lअपना सब कुछ मान कर मुझ को 

सब कुछ अपना मुझ पर वार दिया 

कैसे करूँ अहसान ये अदा  तेरा 

 कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया।



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