दिल ढूंढता है धड़कन
दिल ढूंढता है धड़कन
दिल ढूंढता है धड़कन,नज़र बेसबर रहता है।
ये और बात के हरदम,कोई बेख़बर रहता है !
गुमशुदा मोहब्बत राह ओ फ़िज़ा ढूंढती है।
और मोहब्बत राज़-ए-दिल के कबर रहता है !
वो दीवाना तेरा आज भी तेरे दिल में है।
बेख़बर सा दिखे, ख़बरों में ख़बर रहता है !
सुनके सबकुछ भी तेरे दिल की सुनी जिसने,
वो धड़कन है ऐसा पत्थरों के शहर रहता है !
न माजी़ ना मौसम के पनाहों में ठहरे।
मोहब्बत वो कारवां, रवां ता उमर रहता है !
हर आह पे तेरी यादों से लिपट लेते हैं।
दवा ओ दुआ जब बेअसर रहता है !
