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Krishna Kumar

Abstract

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Krishna Kumar

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दिल ढूंढता है धड़कन

दिल ढूंढता है धड़कन

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दिल ढूंढता है धड़कन,नज़र बेसबर रहता है।

ये और बात के हरदम,कोई बेख़बर रहता है !


गुमशुदा मोहब्बत राह ओ फ़िज़ा ढूंढती है।

और मोहब्बत राज़-ए-दिल के कबर रहता है !


वो दीवाना तेरा आज भी तेरे दिल में है।

बेख़बर सा दिखे, ख़बरों में ख़बर रहता है !


सुनके सबकुछ भी तेरे दिल की सुनी जिसने,

वो धड़कन है ऐसा पत्थरों के शहर रहता है !


न माजी़ ना मौसम के पनाहों में ठहरे।

मोहब्बत वो कारवां, रवां ता उमर रहता है !


हर आह पे तेरी यादों से लिपट लेते हैं।

दवा ओ दुआ जब बेअसर रहता है !


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