धर्म
धर्म
सभ्य की सही अर्थ हैं धर्म,
मानवीय भावनाओं को,
सही रुप देने की शक्ति है धर्म,a
आचार, व्यवहार, आचरण,
सिखाने की पाठशाला है धर्म,
मानव को मूल्यवान व्यक्ति
बनाने की साध्य है धर्म,
लोक पुरुष श्री राम जी ,
लोक कल्याणकार श्रीकृष्ण,
मानव जीवन की लक्ष्य
प्राप्ति में फ़रिश्ते हैं तो,
रामायण,महाभारत एवं
भगवतगीता ....
व्यक्तित्व विकास में
निदेशक अस्त्र हैं।।