डर को डराओ
डर को डराओ
अपनी मंज़िल पाने की तो सबको रहती चाहत
किन्तु हम डरते रहते सुनकर विघ्नों की आहट
यूँ ही अगर जीवन भर हम डर से डराए जाएंगे
पुष्प समान खिला हुआ जीवन कभी ना पाएंगे
इसी भय के कारण हम अपनी शक्तियां गंवाते
अपनी ही मंज़िल से हम खुद ही दूरियाँ बढ़ाते
भय से ग्रसित होकर कभी जीवन नहीं बिताओ
डराने वाली कोई बात अपने मन में ना बिठाओ
निडरता का गुण अपने जीवन में तुम अपनाओ
डर को तुम डराकर मंजिल को नजदीक लाओ
