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Dr. Akansha Rupa chachra

Classics

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Dr. Akansha Rupa chachra

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दायित्व क्षणिकाएं

दायित्व क्षणिकाएं

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प्रकृति के घेरे में

अनजान अँधेरे में।

भोर का उजियारा

साथ लाया है देखो

मनुज के बहु दायित्व।


दायित्व पालकों के प्रति

दायित्व बालकों के प्रति

आस पड़ौस पहचान में

समाज राज्य राष्ट्र में

गुँथी हुई बेल फैले दायित्व।


दायित्व है सद् भाव का

क्षेत्र- धर्म ,प्रकृति प्रभाव का।

मानव के प्रति मानवता से

बढ़ते सहज जुड़ाव का

संसार का स्थायित्व है दायित्व।


धरती में आप्लावित नीर सा।

दूध में व्याप्त नवनीत सा।

गतिअंबर के ग्रह नक्षत्रों की,

मति जन्मान्तर के लक्ष्यों की।

चिर शान्ति की अभिलाषा

आत्योत्थान है दायित्व।


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