चूम लो लक्ष्य को
चूम लो लक्ष्य को
केवल लक्ष्य ध्यान में
तीर निशाने पर होगा
तेल में देख आँख मत्स्य की
अर्जुन सम धनुर्धर होगा
लक्ष्य ऊँचा जितना हो
निशाना दूर उतना होगा।
भेद कर चक्रव्यूह को
अभिमन्यु सा वीर होगा
पकड़ कर डोर लक्ष्य की
मुसाफिर मंजिल पर होगा।
लक्ष्य विहीन जीवन का
कहीं न होगा ओर-छोर
बनाओ लक्ष्य जीवन का
कसके पकड़ो उसकी डोर।
साध कर उचित दिशा को
सुधार लो अपनी दशा
इधर-उधर मत भटको
जीत लो मन की निशा।
भिन्न-भिन्न है लक्ष्य सब का
अलग-अलग सबकी सोच
कोई नहीं है बड़ा छोटा
हर मानव में उसका ओज।
ध्यान एकाग्र कर उसका
चलो चूम लो लक्ष्य को
होगी सफलता निश्चित ही
दृढ़ निश्चय की शपथ लो।
