चंद्रज्ञान
चंद्रज्ञान
अभी उडान भरी है
अभी पंख फैलाया है
अभ चुनौतीयौं को सूचीत कर दो
कि हर विफलता मे भी
विजय पताका(धवज) फहराया है
हे चंद्र कभ तक रोकोगे हमे
कि अभ यह दृड निषचय बनाया है
जिस दक्षिंण छौर पर हराया तुमने
अभ उसी को अगला विजय लक्ष बनाया है
चंद्रयान ने यह पत्रज्ञान सिखलाया है
कि चंद्र के विफलता से न डर
कि मंगल तक अपना सरमाया है
हाथ न चले तो कया हुआ
पाँव रुके तो कया हुआ
न परिस्थिति न परिणाम से डऱ
परिश्रम कर तु फिर भी परिकरमा भर
कि मुखय पाठ यह सिखलाना है
बहमुलय चंद्र ज्ञान वह लाना है
जो पृयापत ये पृयास न हुआ
उसे गगन यान से सिध् कराना है।
