चन्दन
चन्दन
लोग कहते हैं कि ,जो अच्छे इन्सान होते हैं,
उसे भगवान जल्दी बुला लेते हैं
शायद यह सच है।
मेरा दोस्त "चन्दन"
वो भी बहुत जल्द चला गया,
हम सबको छोड़ कर।
पता है नाम के अनुरूप ही
था उसका चरित्र ।एक चन्दन मे जो
गुण होते हैं, सभी मेरे दोस्त चन्दन में था।
पवित्र, शीतल और शांत
भगवान को चन्दन अति प्रिय है,
सो उन्हें मेरा दोस्त चन्दन भी प्रिय
था सो बुला लिया।
अपनी दोस्ती के बारे में लिखने
लगूँ तो शायद किताब कम पड़ जाएँ,
पर इतना ही कहूँगी कि
मैंने अपने जीवन काल में चन्दन
जैसा शांत, निश्छल और दयालु
इन्सान कभी नहीं देखा।
हमारी दोस्ती तब भी थी,
अब भी है और
हमेशा रहेगी।
''तुम हमारी आखों से दूर हो गए हो
चन्दन, दिल से नहीं" तुम तब
भी थे,अब भी हो और हमेशा रहोगे।
लिखते-लिखते मेरे शब्द
ओझल होने लगे हैं चन्दन,
आँसुओ की वजह से।
मैं तुम्हें रो कर याद करना नहीं चाहती हूँ
तुम भगवान् की दुनिया
मे खुश हो, पता है मुझे
खुश रहना और वहां भी
खुशियाँ बाँँटते रहना।