चींटियाँ
चींटियाँ
एक दोपहर
जब मैं उदास बैठी थी।
पड़ी नज़र
कुदरत की खुबसूरती पर,
हुई हैरानी
चींटियों की कतार पर।
चींटी!
दुनिया का सबसे छोटा प्राणी
परंतु सिखाई एक ऐसी सीख
शायद, कोई विद्वान भी
पता नहीं सकता।
सीख सिखाई
एकता की
मेहनत की,
अनुशासन की।
अगर ध्यान से देखें
चलती हैं वो लंंबी कतारों में।
अगर गिर कोई
तो एक-दूसरे का हाथ हैं थामती।
मेहनत हैं दिन-रात करती,
एक-दूसरे का हैैं पेेेट पालती।
मनुष्य! सबसे समझदार प्राणी,
क्यों नहीं समझ पाया इतनी-सी बात?
जब चींटियाँ एक साथ चल सकती हैं
तो मनुष्य क्यों,
एक साथ नहीं चल सकतेे हैैं?
क्यों धर्म और जाति के नाम
पर लड़ते हैं
आखिर, हैं तो सब इंसान।
जब नन्हीं-नन्हीं चींटियाँ
एक साथ रह सकती हैं
तो मनुष्य क्यों नहीं?
अगर एक साथ रहेें
तो सब खुश रहेंंगे,
और सब सफलता हासिल करेंगे।
