हमारी मातृभाषा-हिंदी
हमारी मातृभाषा-हिंदी
बड़ी विशाल है दुनिया
अनेक भाषाओं से भरी है यह दुनिया।
परंतु एक ऐसा देश
जिसका निराला है वेश।
जहाँ बोली जाती हैं
अनेक भाषाएँ।
मराठी, तेलुगु, पंंजाबी, आदि,
भाषाओं के भंडार की है यह धरती।
परंतु जिसने जोड़ा है सबको
हिन्दी भाषा है वो हमारी।
चाहे कोई बोले पंजाबी,
चाहे मराठी।
सबको मिला देेती है
सबको मिलाकर एक परिवार बना देती है।
कभी एक दूसरे से अलग नहीं होने देती
सबको रखे जोड़े रहती है हिन्दी भाषा हमारी।
फिर भी पता नहीं क्यों?
भुुलते जा रहे हैं हम
अपनी मातृभाषा को ही,
बाह्याडंबरों मेें फंस
हम भूल गए अपनी भाषा हिन्दी।
कभी समझ ही नहीं पाए
हिन्दी भाषा की सरलता को,
फंंस समय के जाल में
भुुल ही गए मातृभाषा को।
न, न दोस्तों भुल मत इसे
अगर भूल गए इसे।
तो अलग-थलग हो जाएंगे
फिर कभी एक न हो पाएंगे,
अपना वजूद ही खुद मिटा लेंगे।
इसीलिए, भूलो न इसे दोस्तों
याद रखो हमेशा इसे दोस्तों।
क्योंकि यह हमारी मातृभाषा हिंदी ही है,
जिसने जोड़े रखा है हमें
एक दूजेे से।
