चिड़िया
चिड़िया
पानी मे अठखेलियाँ
कर रही है,चिड़िया
भूल गई है,सब कुछ
मदमस्त हो गई है चिड़िया
न लेना किसी का
न देना किसी का
ख़ुद में खो गई है,चिड़िया
ख़ूब चीं-चीं की उसने
अब चुप हो गई है,चिड़िया
ख़ूब दगा दिया जग ने
आंसू ही सूखा दिये जग ने
अब ख़ुद पर भरोसा,
कर रही है,चिड़िया
निर्विकार नीर में
उलझनों के क्षीर में
निश्चल हो गई है चिड़िया
अब खुद में नहाना है
आंसू नही बहाना है
इस नदिया के जल में,
मन को धो रही है चिड़िया।