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Vandana sharma

Children

4.3  

Vandana sharma

Children

छुक छुक गाडी

छुक छुक गाडी

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काश ! कोई छुक छुक गाड़ी मिल जाए मुझे आज जो मुझे मेरे बचपन मैं ले जाए।

याद आ गये वो होली के दिन बचपन वाले।

वो हर गली नुक्कड़ पे रंगे हुए चेहरे।

वो सिर सफेद वार्निश से रंगा हुआ।

वो दाँत हरे रंग से रंगे हुए मानो आज टूथपेस्ट ही हरा हो गया हो।

वो मम्मी का कनस्तर भर के गुजिया बनाना और फिर हम सबसे कहना यह महमानों के लिए हैं।

वो बड़े दही मैं डूबे हुए लाल और हरे रंग की चट्नी के साथ मानो वो भी होली खेलके आए हों।

वो सुबह उठके सरसों का तेल लगाना जिससे रंग ना चढ़े।

वो कान के पीछे हरा रंग डालना।

वो रंगे पुते आना और फिर मम्मी की डाँट से बचने के लिए आँगन मेँ रंग छुटाना।वो दोस्तों से छुपना की कहीं कोई पकडकर रंग ना लगा दे।

वो रंग बरसे पर थिरकना मानो उसके बिना होली अधूरी हो।

वो रंग रंग की पिचकारियाँ जो आते ही टूट जातीं थी।

वो बड़े भैया के दोस्तों को झूठ कहना की भैया तो सुबह ही निकल गया और वो भाई-बहन को उनकी टोली मैं से ढूँँढना कि कौन सा है और फिर पूछना तेरे कपडे कैसे बदल गए।

काश !कोई छुक छुक गाड़ी मिल जाए मुझे आज जो मुझे मेरे बचपन मे ले जाए।



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