चौराहे पर प्रेम
चौराहे पर प्रेम
जीवन की सड़क पर
तुम्हारी स्कूटी
मेरी बाइक से
बहुत दूर जा पहुंची।
मोड़ों ने हमारी
दिशा बदल दी
कई बार मैंने हार्न बजाया
एक बार तो तुम्हें ओवरटेक भी किया
पर तुम्हारी और
तुम्हारी स्कूटी की नजरें
यह सब नहीं देख पायीं।
एक बार लाल बत्ती जलने के कारण
मैंने तुम्हें पकड़ ही लिया था
पर उससे पहले ही
हरी बत्ती जल गई
और तुम मेरे हाथ से निकल गई।
फिर मैंने तुम्हारा इंतजार किया
चौराहे पर
ईद के चांद-सी
कई सालों बाद
आज तुम आई तो
मेरी बाइक के दोनों बल्ब
खुशी के मारे जल उठे।
वे कुछ देर तुम्हें
निहारते रहे
फिर सहसा दोनों दुपहिया
गलबहियाँ डाले
झूमने लगे।
यह देखकर चौराहे पर खड़ा
ट्रैफिक पुलिस का सिपाही
सीटी बजाता रह गया।।