बुन्देली लोकगीत
बुन्देली लोकगीत
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पीपल की छैया,
और बैठ मोरे सैंया।
चैन ले लैये,चैन ले लैये,
ऐसी दुपहरिया में,
हां दुपहरिया में।
काम तो लागो रेहे,
उमरिया में।
बिर्रा की रोटी,
और आम को अचार।
गैया को मही,
और हींग को अचार।
रस लै लैये, हां रस लै लैये।
गुड़ की डिगरियां में।
काम तो----------
जेठ की दुपहरिया,
जो आगी सो घाम।
ऐसी दुपहरिया में,
करैं सैंया काम।
पानी पी लैये,पानी पी लैये,
लाई हूं गगरिया में,गगरिया में,
काम तो--------------
पीपल की छैया,
और बैठ मोरे सैंया।
चैन ले लैये,चैन ले लैये,
ऐसी दुपहरिया में,
हां दुपहरिया में,
काम तो लागो रेहे उमरिया में।।