बुलंद हौसले
बुलंद हौसले


क्या सचमुच स्वतंत्रता मिली भारत को ?
क्या हर भारतवासी आज स्वतंत्र है ?
सही अर्थ समझें गर हम स्वतंत्रता का ,
तो वो यही है , "जब अपने हौसले बुलंद हैं "
लुट तो आज भी रही है अस्मत बेटी की
,हो रहा है चोरी - छिपे दहेज का व्यापार ,
जाने नहीं दिया जाता स्त्री को चौखट से बाहर ,
और हम कहते हैं कि हम स्वतंत्र हैं अब मेरे यार
एक मजबूर लड़का भूख से जब लड़ता हुआ ,
बाल मजदूरी का ही एक विकल्प चुनता है ,
तब उसे परिवार की रक्षा का भार उठा कहकर ,
स्वतंत्रता का गला देखो कैसे घुटता है ?
नई तकनीक का उपयोग लिंग जाँच में किया जाता है ,
तभी तो कन्या भ्रूण हत्या का मामला रोज सामने आता है ,
स्वास्थ्य सेवायें ठीक से बुजुर्गों को मिलती नहीं ,
फिर कैसे स्वतंत्रता दिवस की उमंगें सबके दिल में रहीं ?