बसंत पंचमी आई
बसंत पंचमी आई
बसंत पंचमी आइ मां शारदे को मनाऊंगी
पीले वस्त्र धारण कर पीला भोग लगाऊंगी
पीली सरसों के खेतों में बहार है नए
अन्ना का मां को भोग लगाऊंगी
बसंत पंचमी आई मां शारदे को मनाएंगी
मेरी लेखनी को देगी वह वरदान,
विद्या बुद्धि जितना बांटो उतने बढ़ती है हर बार ,
छोटे-छोटे बच्चों को मैं भी कुछ सिख आऊंगी
बसंत पंचमी आई मां शारदे को मनाऊंगी
मदमस्त होकर में बसंत बनाऊंगी
सब उलझन को मां से पल में सुलझाऊंगी
मेरी रसना मां के गीत सुनाएगी
बसंत पंचमी आई मां शारदे को मनाऊंगी।
