बरसात की एक रात
बरसात की एक रात
अजीब-सी मुस्कान आज होंठों पे आयी है,
जब अचानक से तूफान ये रात लायी है
ठंडी हवा के ये तेज़ झोंकें,
जैसे मेरे सांसों को अचानक रोके
आस्मां में गरज़ते है जब ये बादल,
कहीं हमको न ये करदे पागल
बिजली का यूं ज़ोर से कड़कना,
फिर बारिश का रिम-झिम बरसना
खिड़की से झांकती ये बारिश की बूंदें,
महसूस करूं मैं आंखों को मूंदे
आज हवा का मोड़ बदला है,
मन मेरा हो रहा पगला है
अंजानी सी खुशी के जैसी आहट हुई,
इस बरसात से सख्त गर्मी में राहत मिली
सुनो क्या कहती ये बारिश की झड़ी,
मैंने सुना और मैं तो हंस पड़ी
कहती हैं बारिश गर्मी को सहना सीखले,
खुशी के चंद पलों में रहना सीखले
जैसे आता है गर्मी के बाद सावन,
हौसला रख मुस्कुरा के आगे बढ़ मेरे मन।