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Manjula Dusi

Abstract

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Manjula Dusi

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बरगद का पेड़ से मेरे पापा

बरगद का पेड़ से मेरे पापा

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पुराना बरगद का पेड़ अब , बुड्डा हो चला है, 

वो पेड़, जिसकी जड़ों ने 

तलाश ली हैं, अपनी ज़मीन

और उग आईं है,

उनमें नई कोपलें भी,

जडें, जो व्यस्त हैं

अपने नए वजूद को

तराशने में,संवारने में

और भूलने लगी हैं

उस बरगद को,

जिसने बड़ा किया था,

उन्हें ,

अपनी घनी छांव के नीचे

और बचाया था,उन्हें

कडी धूप से,बारिश से,

और ठिठुरती ठंड से,

लेकिन,फिर भी खुश है 

बरगद,अपनी जडों को

फलता फूलता देखकर

क्योंकि खुद को खोकर

पाई है ,उसने ये खुशी,

आखिर

पिता है बरगद,

हाँ ,पिता ही है बरगद


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