होली
होली
1 min
247
हवा बसंती हो गई
बिखर गए है रंग
बिना पिए ही लग रहा
चढ़ा हो जैसे भंग।।
फूलों से सुरभित हुई
टेसू की हर डाल
प्रियतम आया देखकर
भए गुलाबी गाल।।
भिन्न भिन्न रँग में रँगे
जन मानस चहुँ ओर
होली नें है कर दिया
सबको भाव विभोर।।
भूल गए हैं बैर सब
मिले हों जैसे रंग
सदा सदा ही बन रहे
आप सभी का संग।।
