हवा बसंती हो गई बिखर गए है रंग बिना पिए ही लग रहा चढ़ा हो जैसे भंग।। हवा बसंती हो गई बिखर गए है रंग बिना पिए ही लग रहा चढ़ा हो जैसे भंग।।