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Naina Mathur

Abstract

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Naina Mathur

Abstract

बराबर कर दो ना

बराबर कर दो ना

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तुम कहते हो हम बराबर हैं, तो बराबर कर दो ना......

झाड़ू मैं लगा रही हूं, तो पोंछा तुम लगा दो ना ।

कपड़े कपड़े मैंने धुल दिये, तो तुम सिखा दो ना।

खाना खाना बनाया मैंने, तो तुम प्यार से खिला दो ना।

रोज मैं करती हूं , कभी तुम भी तो कर दो ना ।

तुम कहते हो हम बराबर हैं, तो बराबर कर दो ना.....


बातों- बातों से ही तो बात नहीं बनती, कभी कभी तुम भी तो बात शुरु कर दो ना।

नाम तुम्हारा मैं जपती हूं, कभी तुम भी तो मेरी तारीफ कर दो ना।

रोज तुम्हें अदरक वाली कड़क चाय देती हूं, कभी तुम भी तो मेरी कॉफी की ख्वाहिश पूरी कर दो ना।

रोज मैं करती हूं, कभी तुम भी तो कर दो ना।

तुम कहते हो हम बराबर हैं तो बराबर कर दो ना.......


मैं तुम्हें अपनी तरफ से कोई प्रॉब्लम नहीं देती, तुम भी तो मेरी प्रॉब्लम को समझो ना।

रोज मैं तुम्हारी थकान मिटाती हूं, कभी तुम भी तो अपना हाथ मेरे माथे पर प्यार से सहला दो ना।

रोज मैं करती हूं, कभी तुम भी तो कर दो ना।

तुम कहते हो हम बराबर हैं, तो बराबर कर दो ना......


यूं ही "हां जान हम बराबर हैं ,से तो बात नहीं बनती।

तुम कहते हो हम बराबर हैं, तो बराबर कर दो ना.....

तो बराबर कर दो ना....-३ 


        


साहित्याला गुण द्या
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