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Himanshu Sharma

Abstract

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Himanshu Sharma

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बिगड़ा हुआ बछड़ा

बिगड़ा हुआ बछड़ा

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बिगड़ा हुआ बछड़ा, कूदता है, उछलता है

बिगड़ा हुआ बछड़ा, कैसे यूँ दल बदलता है!

बिगड़ा हुआ बछड़ा माँ की बात न सुनता है,

बिगड़ा हुआ बछड़ा देख के दल को चुनता है!

बिगड़ा हुआ बछड़ा बड़ी मुश्किल से बँधता है

दल बदलने की उसे मिली पूरी स्वच्छंदता है!

बिगड़ा हुआ बछड़ा सदा उत्तेजना में रहता है

किसके पीछे पड़ जाए वो ये डर बना रहता है! 

डंडा दिखा, बिगड़ा हुआ बछड़ा क़ाबू आता है

खूँटा तोड़कर भाग जीने का उसे जादू आता है!

सियासत में बहुत से बिगड़े बछड़े मिल जाएंगे,

आज यहाँ तो कल फिर वहाँ खड़े मिल जाएंगे!


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