*भारतीय जनतंत्र*
*भारतीय जनतंत्र*
यदि हर भारतीय कर्मनिष्ठ- सच्चे देशभक्त होते।
रहनुमा देश के, लोकतंत्र से सही - सही पनपते।
यदि मातृभूमि के लिए, देश प्रेमी होता महान है।
वीरता पुरस्कार पा कर, बढ़ती देश की शान है।
यदि निर्वाचित नेता सभी, बन उभरते ईमानदार।
चुनाव होते यदा-कदा, देश हित से रहे सरोकार।
गर लोगबाग वरीष्ठों की, भावनाओं का सत्कार करते।
मेहनत कर सुपोषण, देश की बेहिसाब तरक्की करते।
अगर साथी लोगों का प्यार हमारे दिलों को भर देता।
गरीबी, अशिक्षा शुन्य होती, कर्तव्यनिष्ठ पहले होता।
भारतीय जनतंत्र प्रगतिशील हो,जबरदस्त उछाल खा चमकता।
नारी व बच्चों की स्वतंत्रता सुनिश्चित कर धन्य होता।
बुजुर्गों का ख्याल रख, भवसागर पार तू जाएगा।
वृद्धाश्रम खोल कितने आंसू ठहरा पाएगा।।
पाप बढ़ता जब, धरती पर ईश्वर की कृपा होगी।
राजा बनेगा रंक, भोगी बनेगा पुरोधा महायोगी।
सभी स्वास्थ्य का रखें ध्यान, बुराई से दूर रहें।
मन बने मंदिर ईश का, अपराध से हम दूर रहें।
शांति और सह-अस्तित्व से प्रेम सदा बना रहे।
शिध्र बने विश्वगुरु भारत, दृढ़ संकल्पित रहे।
