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Nimisha Pareek

Inspirational

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Nimisha Pareek

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भारत: क्या यही देश है बापू का

भारत: क्या यही देश है बापू का

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एक सपना लिए वो चल पड़ा था, पहन ऐनक,

धोती सफेद़ खादी की, अंग्रेजों से जो लड़ पड़ा था,

बापू जिसका नाम था अहिंसा उसका मान था।  

                  

बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो............!!!!!!

लोगों को उसने यही सिखाया था, पर क्या लोगों को वो संदेश समझ कभी आया था?? 

"सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ता हमारा हम बुलबुले है उसकी ये गुलसिताँ हमारा "

ये गीत यहाँ हर कोई गाता है, लिए हाथों में तिरंगा गर्व से हिन्दुस्तानी खुद को बतलाता है। 


भारत माँ के बेटे हम चार भाई - हिन्दू , मुस्लिम सिख और ईसाई....... ... !

फिर लिए हाथों में तलवार, आज क्यों लड़ पड़ते हैं वो चारों भाई, न जाने खुनों की नदियाँ उन्होंने कितनी बहाई.... 

क्यों बापू की सीख उन्हें कभी समझ नही आयी?? 


ये देश है वीर जवानों का, अलबेलो का मस्तानों का ... 

वीरों कि गाथाएँ यहाँ निराली है, आज़ादी के लिए लड़ पड़े वो, जाने कितनों ने क्रूबानी दे डाली है। 

हंसते - हंसते चल दिए जो कहकर एक बात साथियों..... 

अब तूम्हारे हवाले है ये वतन साथियों। 


देख देश की हालत आज उनकी भी आंखे रोती होगी, 

जब बैठ किसी कोने पर वो बच्चे बरतन धोते होगे , शिक्षा पाने के लिए जो सपने संजोते होगे...... 

उनके सपने भी कही उस बोझ की तरह दब जाते है, 

जो बोझ वो अपने नन्हें कंधों पर ढोते जाते हैं। 

खाली पेट वो न जाने कितनी रातें सोते है, अपने सपने वो बालश्रम में खोते है। 

गरीबी, बाल मजदूरी का आज भी यहाँ काला जाल है बापू.. 

 क्या ये वही देश है? जिसका सपना लिए तू चल पड़ा था बापू....।


खड़ा हिमालय कश्मीर में गाथाऐं एकता की जब गाता है, 

कन्याकुमारी के विशाल समुद्र तक ये स्वर बहता जाता है... 


ये देश वही है, जिस देश में गंगा बहती है। 

देखों बापू आज भी तेरी बेटियां यहाँ आज़ादी के लिए कितने दर्द सहती है!!! 

गलियां आज भी यहाँ सुनसान है, इसानों के वेष मे खड़े यहाँ हैवान है। 

बेटियां तेरी बापू आज भी बचती रहती हैं, चीरहरण के इस डर से, बंद कैद घर में रहती है। 

दफना दिया जाता है आज़ उन नन्ही मासूम बच्चियों को जिन्दा कब्र में बापू .... 

जहाँ जन्म लिया था कभी रानी लक्ष्मीबाई जैसी विरागनाओं ने!! 

क्या इसी रामराज्य का सपना तूने देखा था बापू ?? 

क्या यही देश है तेरा बापू!!!!! 


कहाँ गये वो फौलादी भगत सिंह, सहदेव की टोली 

अब तो हर जगह है भ्रष्टाचार की होली, 

बिक गया यहाँ ईमान चन्दं कोड़ीयो में, सच नहीं रहा जहाँ कानून की कड़ीयों में । 


ये वो भारत नहीं जिसका सपना था बापू तेरी पलकों में 

ये आज भी बधां हूआ है गूलामी की जनजिरों में 

तूझे फिर से आना होगा बापू,अपने देश को आजाद़ करवाना होगा बापू 

सबको फिर से एक बार एकता,सच्चाई ,अहिसां का पाठ सिखाना होगा बापू....!!! 

क्योंकि ये वो आजाद़ भारत नहीं तेरा, जिसका सपना कभी तूने देखा था बापू।


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