रक्षा बंधन : "कच्चे धागे का पक्का वादा"
रक्षा बंधन : "कच्चे धागे का पक्का वादा"
सावन का यह पावन महीना
देखो फिर से ख़ुशियों की बौछार लाया है,
बहन - भाई के इस पवित्र रिश्ते की
नयी सौगात लाया है।
कच्चे से धागे में पक्का सा वादा है,
वचन "जिंदगी भर रक्षा करने की "
आज भाई का अपनी बहन से यही वादा है।
बचपन की वो मीठी यादें,
मौज़- मस्ती और ढेर सारी बातें,
कभी मेरा रूठना, कभी तेरा मनाना
और फिर आकर गले लग जाना।
एक दूजे के बिना अधूरा लगता यह संसार,
इसलिए बंधा एक धागे में
भाई -बहन का ये अटूट प्यार।
बहन ने भाई के हाथ पर प्यार बांधा है,
आज फिर एक कणृवती ने हूमायूं से
रक्षा करने का ये अनमोल उपहार मांगा है।
लगी चोट जब श्री कृष्ण को,
द्रौपदी का हृदय भर आया था,
फाड़ हिस्सा अपने चीर का,
अंगुली पर माधव के बड़े स्नेह से लगाया था।
खोल गाँठ फिर उसी चीर की,
लाज दौपदी की गोविन्द ने सभा में यू बचायी थी,
आजीवन रक्षा करने का वचन प्रभु ने भी निभाया था।
बहन की राखी, भाई के हाथों का गहना,
प्यारी बहना तुम कोई दुख कभी न सहना,
दुख तुम पर कोई आया तो मैं श्रीकृष्ण बन जाउँगा,
वादा है ये मेरा इस कलयुग के हर
एक दुशासन से तुम को मैं बचाऊँगा।
भैया मेरे तुम जल्दी आना, राह तुम्हारी देखती,
होठों पर लिए मुस्कान है.....
भाई मेरा आज दूर सरहद पर लड़ रहा जो,
भारत माँ का एक जवान है।
मेरी बहन मेरी राह तकना तुम,
तेरा भाई तेरी दर पर ज़रुर आएगा,
वादा है ये कभी ना टूटेगी रेशम की डोर,
तेरी राखी से वो अपनी कलाई सजाएगा।
तोड़े से भी न टूटे जो ये ऐसा मन का गहरा बंधन है,
इसलिए इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षा बंधन है।