भाग्य और मेहनत
भाग्य और मेहनत
एक दूसरे के विरोधी नहीं
अपितु पूरक हैं
भाग्य के बिना
मेहनत फलीभूत नहीं होती
और मेहनत के बिना
भाग्य अपंग महसूस करता है
जिसे भाग्य और मेहनत
दोनों का वरदान मिलता है
वह नरेन्द्र मोदी बनता है
अडाणी अंबानी बनता है
जो लोग भाग्य के सहारे बैठे हैं
वे सफल नहीं होते हैं
और जिनको भाग्य का
साथ नहीं मिलता है
वे भी जिंदगी भर रोते हैं।
भाग्य तो ईश्वर ने लिखा है
उस पर हमारा कोई वश नहीं
मेहनत करना हमारा कर्तव्य है
उसमें कोई कोताही नहीं।
जब इंसान निष्काम कर्म करता है
तो भाग्य को भी साथ देना पड़ता है
इसी से जीवन का बेड़ा पार है
और यही "गीता का सार" है।
