बेवकूफियां
बेवकूफियां
न जाने क्यों हम बेवकूफियां करते चले गए
पहेली की एक कड़ी समझते जोड़ते चले गए
तभी वो जख्म गहरे होते चले गए
फिर अचानक पीछे से आवाज आई
"ऐ मुसाफिर, थम जा जरा
तुम कांच को कागज समझते चले गए !"
न जाने क्यों हम बेवकूफियां करते चले गए
बेवकूफियां ...बेमतलब सी बेवकूफियां
एक किस्सा था .जिंदगी का था हिस्सा
हम तो यूं सोचते चले गए !!
पर पता ना था कि वो थी बेवकूफियां..
बेमतलब सी बेवकूफियां...