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Krishna Kumar Patel

Inspirational

4.8  

Krishna Kumar Patel

Inspirational

बेटियाँ

बेटियाँ

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जिस घर में जन्म लिया,

चाँद का टुकड़ा, गोल मुखड़ा,

ख़ुशियों का सागर लहराया।


माता-पिता की लाडली,

अपनी तोतली आवाज़ से,

घर महकाती, दुलराती प्यार से।


कभी रूठती छोटी सी माँग पर,

कहती पिता से सांझ पर,

बाल बटन, कंघा, शीशा,

नई कुर्ती माँगती।


दुलराती पिता को माँ की तरह,

कभी माँ का जूड़ा संवारती,

घर भर के बर्तन ले बैठती कभी,

आँगन के कोने में धोने को।


कभी माँ संग आंटे से कोशिश की,

रोटियाँ बनाती बेटियाँ,

कभी झाड़ू उठाकर,

आँगन बुहारती।


भाई की कलाई में बाँधकर,

स्नेह के रेशमी धागे,

करती हैं सम्मान उसका,

दुनिया के आगे।


फर्क बेटे-बेटी में समझते हैं,

कुछ लोग आज भी,

और बेटियाँ सम्मान को आपके,

आसमान तक ले जातीं।


जिस घर में जन्म लिया,

चाँद का टुकड़ा,गोल मुखड़ा,

ख़ुशियों का सागर लहराया

ख़ुशियों का सागर लहराया।।


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