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Dr.rajmati Surana

Abstract

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Dr.rajmati Surana

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बेटी

बेटी

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माँ के लिए  बेटी  अभिमान होती है,

पिता के लिए बेटी स्वाभिमान होती है।


दहलीज पार करती है बाबुल के आंगन की,

तो पिया के घर की ... ...मान होती है।  


संस्कारों से लबरेज हो घर‌ को घर बनाती है,  

बहू बन बेटी ,परिवार की मुस्कान होती है।


मुस्कुराती है, इठलाती है, सबको हंसाती है,

संवारती है जीवन ,सबका सम्मान होती है।


देवरानी ,जेठानी ,ननद ,सास ,बहन,मासी,मामी,

अनेक रिश्तों में बंधी इसकी भी पहचान होती है।


जब इन रिश्तों की मर्यादा का होता उल्लंघन,

कोमल कोमल ये बेटियां तब गुंजायमान होती है।


अपनी मुस्कान से सबको खुश रखने की चाहत,

समर्पण की प्रतिमूर्ति बन सबकी शान होती है।


सहनशीलता की हदें जब वो पार करती है,

तो वो रिश्तों की गरिमा भूल परेशान होती है।


बेटियों को अभिमान मानने वाले बहु को भी मान दे,

दर्द मिलने पर शान ,बान,आन तोड़ बेईमान होती है।।




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