बेपरवाह इश्क
बेपरवाह इश्क
इश्क होता नही बेपरवाह
बेपरवाह आशिक होते हैं,
वह भी वह आशिक जो
मजनू बने फिरते है,
आज इस खिड़की तो,
कल इस चौखट पर,
नजरे गड़ाए रहते हैं,
इश्क करने वाले तो अपने
माशूक हो या माशुका
उनकी हर अदा को सहते हैं,
इश्क दिल से करने वाले
कभी बेपरवाह नही होते
गर दिमाग से इश्क किया है
तो वह बेपरवाह हो सकता है !