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Hardik Mahajan Hardik

Abstract

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Hardik Mahajan Hardik

Abstract

बेख़बर हूँ मैं

बेख़बर हूँ मैं

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बेख़बर हूँ मैं ज़िन्दगी से

बेफ़िक्र हूँ मैं अपनों से

नहीं फ़िक्र मुझें अपनी

करता हूँ फ़िक्र में अपनों की


हूँ ना हूँ मैं यहां वहां बस 

रहूँ हर जनम में अपनों का 

साथ निभाऊं सारी उम्र

बेफ़िक्र होकर रहूँ हमेशा


नहीं मुझें किसी से कोई

लेना देना रखूं बस ख़याल

अपनों का हर पल यहीं हैं

गुज़ारिश हार्दिक अपनों से।


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