बचपन की यादें
बचपन की यादें
छोटा सा मोहल्ला मेरा,
पूरा बिग बाजार था !
एक नाई, एक मोची, एक सुनार,
एक कल्लू लुहार था।
छोटे छोटे घर थे पर,
हर आदमी बङा दिलदार था।
कहीं भी रोटी खा लेते थे,
हर घर मे भोजऩ तैयार था।
बड़ी, गट्टे की सब्जी मजे से खाते थे,
जिसके आगे शाही पनीर बेकार था।
ना कोई मैगी ना पिज़्ज़ा।
झटपट पापड़, भुजिया,
आचार, या फिर दलिया तैयार था।
नीम की निम्बोली और बेरिया सदाबहार था।
रसोई के परात या घड़े को बजा लेते,
नीटू पूरा संगीतकार था।
मुल्तानी माटी लगा पोखर में नहा लेते,
साबुन और स्विमिंग पूल सब बेकार था।
और फिर कबड्डी खेल लेते,
हमें कहाँ क्रिकेट का खुमार था।
अम्मा से कहानी सुन लेते,
कहाँ टेलीविज़न और अखबार था।
भाई-भाई को देख के खुश था,
सभी लोगों मे बहुत प्यार था।
छोटा सा मोहल्ला मेरा पूरा बिग बाजार था।