बौछार
बौछार


हँसती है वो रात अब देख मुझे
जो कभी मुझ संग रोती थी
बरस कर बूँदें मुझ पर शर्माती है
जो कभी मुझसे अकेले लिपटकर सोती थी!!
नज़रें वहीं पर नज़रिया बदल चुका है
धडकन वही है पर दिल हाथ से फिसल चुका है
वो आसमान देख मुझे ज़मीन से बोला
देख इसका हर बिखरता कदम अब संभल चुका है!!
हवाएँ सन्न से छूकर मुझे गुज़रती है
लबों पर मुस्कुराहट सर-ए-आम सँवरती है
क्या हुआ है मुझे मैंने बादलों से पूछा?
क्यों लम्हा लम्हा मुझ पर बूँदें बरसती है!!
बिखरते पत्ते हवा में उड़े और मुझसे लिपट गए
बेक़ाबू मेरे जज़्बात तब दिल में सिमट गए
कुछ मैं कुछ चाँद और कुछ रात शरमाई
ख़ुद चांदनी छिटककर मेरी नज़र उतारने आई!!
ज़मीन ने जो चूमे मेरे क़दम
एक हँसी की लहर ने घेर लिया
वो आया ऐसे हवा के झोंके की तरह
कि हर तूफ़ान ने अपना
रुख़ फ़ेर लिया!!
ख़ुश हूँ मैं बहुत, कहा उस आसमान से
उतार लेना मेरी बलाएँ इस सारे जहान से
शुरू हूँ अब मैं वहाँ, जहाँ से है वो शुरू
उसके अंजाम से आगे, जज़्बात मेरे बेजान से!!
ध्यान से सुनो हवाओं, मेरे ख़्वाबों की हिफ़ाज़त करना
रात कह दे इन तारों से, टूटकर मेरे प्यार की इबादत करना
लबों पर उसके हो मुस्कुराहट का सवेरा
क़ायनात के ज़र्रों, मेरी मोहब्बत को सलामत रखना!!
झुक जाये ये आसमान सुनने को मेरी कहानी
थम जाये ये ज़मीन यूँ बनकर मेरी दीवानी
बरसती रहे यूँ ही मेरे इश्क़ की बूँदें उस पर
बरसों बीत जाये महसूस करते हुए, बने यादें इतनी सुहानी!!
हाँ कहती हूँ सबसे, हुआ है मुझे उससे प्यार
हर लम्हें में क़ैद कर लूंगी ये इक़रार
गुज़र जाये ये ज़िन्दगी अब उसकी बाँहों में
भिगोये रहे हमें उम्र भर
ये दीवानगी की बौछार
ये दीवानगी की बौछार!!