STORYMIRROR

Neetu Raghav

Others

3  

Neetu Raghav

Others

ज़िन्दगी का रुख

ज़िन्दगी का रुख

1 min
11.9K

आज मुद्दतों के बाद उम्मीद की बारिश हुई

आज मुद्दतों के बाद सुनहरी धूप खिली है

आसमान आज पहले से अधिक नीला है

समंदर भी आज अपनी अदाओं से खेला है...


हाँ सच में आज फ़िज़ा में खुशबू ये भीनी है 

क्यूंकि आज हमने प्रकृति को नहीं छेड़ा है

पंछी आज ख़ुशी से कलरव करते दिखते हैं

पशु जो कभी वन में भयभीत थे

आज हमारी सड़कों पर बेखौफ 

अलमस्त घूम रहे हैं...


क्या यह सच में इक्कीसवीं सदी ही है

या कोई सपना है

काश इन सबकी वजह वो होती जो

इनका मुक़द्दस है

पर इन्हे तो किसी आपदा ने घेरा है...


आज सड़कों पर कोलाहल नहीं है

"मेरा, हमारा, तुम्हारा" का कोई शोर नहीं है

अपराध होने अचानक बंद से हो गए

सड़कें बेज़ुबान तो गलियां खामोश हैं...


कहाँ गया वो कान को भेदता चीरता

चीखों का शोर

कहाँ गए वो मानव जो दीखते थे चहुँ ओर

यही सवाल है गूँजता इन मासूम

बेज़ुबानों के दिल में...


काश हम थोड़ा पहले ही संभल जाते

काश हम मानवता के दुश्मन बन

इतना उत्पात ना मचाते

तो ये सर्वशक्तिमान भी ये ना करता

जो आज का मंज़र है...


जुबां खामोश है और दिल में खौफ है

कब थमेगा ये मरने का सिलसिला

कहाँ रुकेगी प्रकृति ये निर्मम साज़िश

और फिर से हम कह सकेंगे....


आज फिर से उम्मीदों की सुनहरी धूप खिली है

धरती ने जैसे नयी चादर सिली है

जिसमें सिलवटें तो हैं पर कोई पैबन्द नहीं है

ज़िन्दगी फिर से पुरानी राहों पर लौट चली है

राहों पर लौट चली है....



Rate this content
Log in