बातचीत
बातचीत
आज नाराज़ हो तुम मुझसे,
बीते कल तुझे हसाना याद है क्या,
आज अल्फाज़ो कि है जरूरत,
बीते कल आँखों से समझ जाना याद है क्या,
आज तुम्हे जाना है मुझसे दूर पर
तुम्हें वो पहली मुलाकात याद है क्या,
आज हमारे रिश्ते में सवाल हज़ारों है,
पर कल के वो सुखद एहसास याद है क्या,
आज शाम ढलते ही चली जाती हो तुम,
पर वो आसमान के तारे गिन ना याद है क्या,
वो मीठी सी बातें, कुछ धुँधली सी यादें,
वो हसीं मुलाकातें याद है क्या,
नहीं है ना, तो चलो आज खुशियों
का हिसाब करते हैं,
तेरे हिस्से कि रखना तुम,
हम अपनी अब अपने नाम करते हैं।
प्यार बने तेरा पिंजरा उस से
पहले कुछ इंतज़ाम करते हैं,
करते है आज़ाद तुझे, सारा
खुला आसमाँ तेरे नाम करते हैं,
करते है आज़ाद तुझे।