बालश्रम
बालश्रम
रुप वही,
बस अर्थ नहीं,
मैने देखा खुद से,
होते हुए ... बालश्रम।
वो नन्हे हाथ,
टिमटिमाती आँखों के साथ,
पकड़े तेज धार,
कर रहे थे ... बालश्रम।
कदम रुके,
हुआ एक एहसास,
निकले शब्द मुँह से,
प्रतिबंधित है ... बालश्रम।
कुछ देर सोचती रही,
अपने भारत की दुर्दशा,
जहाँ बंधन तोड़ ....
अब भी पल रहा है ... बालश्रम।
सोचा यही है आगाज़,
करूँ बुलंद अपनी आवाज़,
मिला दस, नौ, आठ,
रोक दूँ ये बालश्रम।
वो नन्ही आँखे फिर टिमटिमाई,
मुझसे अपनी गरीबी ना छुपा पाईं,
बोलीं माँ बीमार है,
भूख से बड़ा नहीं ये बालश्रम।