बाल श्रम सभ्य समाज पर एक कलंक
बाल श्रम सभ्य समाज पर एक कलंक
बाल श्रम सभ्य समाज पर एक कलंक,
बाल श्रम हमारे कल पर प्रश्न चिन्ह,
बाल श्रम हमारे बच्चो के खिलाफ गंभीर अपराध,
बाल श्रम हमारे संविधान में लिखित अपराध,
बाल श्रम में लोग बच्चो से उनका बचपन छीन लेते,
बाल श्रम में लोग उनकी हर खुशी छीन लेते,
बाल श्रम के लिए लोग फैक्ट्रियों मे छोटे छोटे बच्चो से परिश्रम कराते,
बाल श्रम में लोग बच्चो से अपने घरों में छोटे छोटे बच्चो से श्रम करवाते,
बाल श्रम में जब बच्चो के स्कूल जाने की उम्र होती तब लोग उनसे श्रम करवाते,
बाल श्रम में जब बच्चो के खेलने कि उम्र होती तो लोग छोटे छोटे बच्चो से श्रम करवाते,
हमे बच्चो के कल को बचाना ,हमे बच्चो को बाल श्रम जैसे अभिशाप से बचाना,
हमे देश से बाल श्रम को खत्म करना है,हमे देश से इस संवैधानिक अपराध को खत्म करना है,
हमे बच्चो को स्कूल भेजना होगा,हमे बच्चो को खेलने कूदने की आजादी देनी होगी,
बाल श्रम एक सभ्य समाज पर कलंक,बाल श्रम हमारे कल पर प्रश्न चिन्ह।