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Natasha Dhawan

Tragedy

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Natasha Dhawan

Tragedy

औरत

औरत

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औरत को आईने में यूँ उलझा दिया गया

बखान करके हुस्न का बहला दिया गया


न हक़ दिया जमीन का न घर कहीं दिया

गृह स्वामिनी के नाम का रुतबा दिया गया


छूती रही जब पाँव परमेश्वर पति को कह

फिर कैसे इनको घर की गृह लक्ष्मी बना दिया


चलती रहे चक्की और जलता रहे चूल्हा

बस इसीलिए औरत को अन्नपूर्णा बना दिया


न बराबर का हक मिले न चूं ही कर सके

इसीलिए इनको पूज्य देवी दुर्गा बना दिया


यह डॉक्टर इंजीनियर सैनिक भी हो गईं

पर घर के चूल्हों ने उसे औरत बना दिया


चाँदी सोने की हथकड़ी नकेल बेड़ियाँ

कंगन पाजेब नथनिया जेवर बना दिया


व्यभिचारी आदमी जब लार रोक न सका

श्रृंगार साज बस्त्र पर तोहमत लगा दिया


खुद नंग धड़ंग आदमी घूमता है रात दिन

औरत की टांग क्या दिखी नंगा बता दिया


नारी ने जो ललकारा इस दानव प्रवर्ति को

जिह्वा निकाल रक्त प्रिय काली बना दिया


नौ माह खून सींच के पैदा जिसे किया

बेटे को नाम बाप का चिपका दिया


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