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Swati Sharma

Abstract

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Swati Sharma

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औरत

औरत

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कुछ इस कदर पकड़ा तुमने मुझको

एक चीख निकाल गयी मेरे इस मुख से।

समझ ना पायी थी कैसी ये कोशिश तेरी।।

प्रेम नहीं छुपी थी इसमे हैवानियत तेरी।

तुझे आभास नहीं तूने किसको है पुकारा।।

तूने मेरे सम्मान और स्त्रीत्व को है ललकारा।

तूने क्या किया है ये तुझे ज्ञात नही है

तुझे स्त्री के स्त्रीत्व का आभास नहीं है

तुमने स्त्री को खिलौना समझ रखा है,

स्त्री खिलौना नहीं बेटी बहन और अम्बा है।।


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