अपनो की बेड़िया
अपनो की बेड़िया


सुना है तुम्हीं ने भेजा है उसे
अपने यार को गम-ऐ-इश्क़ में पागल करके...
यानी, मोहब्बत का सिलसिला उसे भी है मालूम,
लेकिन, अपने ही ख्यालो को ओझल करके...
यूहीं इश्क़ मैं मरना नसीब में नहीं सबके
मुझे हालात ने मारा है मुकम्मल करके...
मुबारक तुमको मौत हमारी,
खेल लो इससे, थोड़ा ख्याल करके...
रोई तो होगी, मेरे जनाजे को देख कर वो भी, साहब
मेरी लाश पे अश्को की बौछार करके...
अपनो की बेड़िया बहोत खलती है , "सिंघल",
उसने पत्थर भी उछाला है, मुझे बीमार करके...!