अपनी हिंदी प्यारी है
अपनी हिंदी प्यारी है
उत्कृष्ट और सुहानी है, ये अपनी हिंदी प्यारी है
जनमानस के अभिव्यक्ति की, अमृत से भी
न्यारी है
वाद और भाषण में, मेघ गर्जना से भी भारी है
वसुधा से अंबर तक फैली, वायु में यह जारी है
उत्कृष्ट और सुहानी...
भंवरों के गुनगुन कर जैसी, क्षितिज में फुलवारी है
बच्चों के बहलावे जैसी, लोरी और किलकारी है
झरने से गिरते जल जैसी, खल खल खल
खलकारी है
कलरव करती पक्षी से भी, मीठी भाषा हमारी है
उत्कृष्ट और सुहानी ..
कर्ण शोभिनी, मनमोहनी चंचल ये मृदुवाणी है
प्रेमी माला के लफ़्ज़ों जैसी, शीतल ये फुशकारी है
बाँसुरी के गुनगुन कर जैसी, राग ये मतवाली है
सुंदर छैला के छम-छम कर जैसी, बेसर, पायल
और बाली है
उत्कृष्ट और सुहानी...
उदासी में खुश करने जैसी, किसी प्रेमी की
शहजादी है
नफरत में नफरत के बदले, मोहब्बत कर जाने
की आदी है
उत्कृष्ट और सुहानी....