अंतर्द्वंद
अंतर्द्वंद
क्या चाहिए ख़ुद से ख़ुद को,
समझ कहाँ अब आती है
तृप्ति और तनाव के बीच ,
एक जद्दोजहद बनी रहती है।
खुद को समझाते हैं,
तलाश कभी खत्म नहीं होती
रोशनी जब भी झिलमिलायेगी,
युवाओं को बेबसी सतायेगी।
संघर्ष वो करते ही जा रहे हैं,
फिर भी मंजिल पास नहीं है
फुर्सत में बैठे हैं सभी,
युवाओं को समझने के लिए।
शायद वक्त किसी के पास नहीं ,
काश! अनुभव की फूहार से
युवाओं को सहलाये होते,
यकीनन वो कभी गुमराह होकर,
आत्महत्या या आतंकवाद
की राह नहीं चलते ।
बदहवासी में खुद ही,
खुद को बर्बाद कर रहे हैं
मनोरंजन के नाम पर ,
आहें भरे जा रहे हैं।
सिसकियों को रोक रहे हैं
क्योंकि वो युवा हैं ।
