अंधेरी रात
अंधेरी रात


हर सुबह के बाद वो लौट कर आती है
ये अंधेरी रात है जनाब, सबको बड़ा सताती है।
भाग दौड़ में बीत जाता है दिन
पर रात नजाने कैसे कैसे ख्वाब दिखाती है।
ये अंधेरी रात है जनाब, सबको बड़ा सताती है।
नींद भरी है आंखो में फिर भी ये रात भर जगाती है
जो नहीं है अब अपना, उसके किस्से रह रह सुनाती है।
मुंद ले आंखे तो ये अन चाहें flashbacks दिखाती है।
करलो तुम कुछ भी पर ये कहा किसीके बस में आती है
Haan जनाब ये वो ही अंधेरी रात है, जो सबको बड़ा सताती है।
सुनसान सी रात तो दिल के तूफ़ान तले सिहर सी जाती है।
अपना पराया सच झूठ ये सारे राज़ व्यकत कर जाती है।
सूरज से चांद तक तो वक़्त का ख्याल नहीं,
पर चांद से सूरज के सफर में ये
घड़ी की रफ़्तार भी धीमी कर जाती है।
gb(32, 33, 36);">ये अंधेरी रात है जनाब, सबको बड़ा सताती है।
खुश किस्मत होते है वो लोग जो
रात को सुकून से गुज़ार पाते है।
तान के चादर, बिस्तर पे पड़ते ही सो जाते है।
पर कुछ हम जैसे भी होते है,
जो इस मायाजाल के चपेट में आ जाते है।
और इस अंधेरी रात को करवटें
बदल बदल बिताते है।
फिर सुबह के सूरज से ये
कहा जीत पाती है।
पर दिन के ख़त्म होने पे
वो लौट कर आ जाती है।
वो कोई और नहीं,
बल्कि वहीं अंधेरी रात है,
जो सबको बड़ा सताती है।
कर लो तुम कितने भी
जतन पर ये फिर भी बड़ा रुलाती है।
ये अंधेरी रात है जनाब,
सबको बड़ा सताती है।