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आशिषकुमार दुबे

Inspirational

4  

आशिषकुमार दुबे

Inspirational

|| अमर शहीद ||

|| अमर शहीद ||

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दुश्मन की गोली के निशाने पे बैठा हूँ

अपनी जिंदगी को मौत के हवाले कर बैठा हूँ

हैं मजाल की एक इंच भी ले जाये दुश्मन मेरे सरहद का,

जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद बन बैठा हूँ।।

मैं कोई नश्वर शरीर नही जो जल कर राख हो बैठा हूँ

मैं वो अमरदीप हूँ जो देश का नाम रोशन कर बैठा हूँ

हररोज देनी पडती हैं जान पहेरेदारो को सीमा पर,

जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद बन बैठा हूँ।।

दिल में परिवार की यादे फिरभी जंग मे जान हथेली पे लिये बैठा हूं,

देश की हिफाजत के लिए खुद की शहादत की वसीहत करा बैठा हूँ,

अपनी मौत के बाद भी दुश्मनो में खौफ छोड,

जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद बन बैठा हूँ।।

खुनसे लथपथ जिस्म है मेरा फिर भी दुश्मनो से आँखें मिलाये बैठा हूँ,

जब तक शरीर मे हैं आखरी सास तक बंदुक ऊठाये बैठा हूँ,

कर्तव्य पथ पर देश के नाम जान करके कुर्बान,

जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद बन बैठा हूँ।।

मेरे देश की दुवाओ का मैं बारुद लिये बैठा हूँ

वतन सुरक्षा के लिए अपना फर्ज निभाते बैठा हूँ

दफन कर दुंगा दुश्मन-ऐ-जमीन कि हर कोशिश,

जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद बन बैठा हूँ।।

देश प्रेम में डूब कर भारत माता का बेटा बना बैठा हूँ,

अपनी शहादत के लिए सारा कारवा लिये बैठा हूँ,

तू ले जा चाहे जीतने सिर मेरे ओढकर तिरंगा,

जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद बन बैठा हूँ।


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