अमलतास के पेड़ सा
अमलतास के पेड़ सा
अमलतास के
पेड़ सा
उसके फल सा
उसके फूल सा
उसके रंग सा
उसके रूप सा
उसकी छाया सा
उसकी सुंदरता सा
उसकी सादगी सा
उसकी मधुरता सा
काम आता मैं
सबके सदैव
मैं कष्ट हरता
सभी के
एक हरि सा
मन में स्थिरता लाकर
अपनी यात्रा को अभी और आगे
बढ़ाना है
अभी तो एक मन्जिल पार करी है
मुझे तो जमीन के छोर से
आसमान की भोर तक जाना है
चारों दिशाओं में
सुर को साधकर
एक राग सा गूंजना है
एक मन से
सबको एक डोर में पिरोकर
चलना है।